Friday, 15 August 2014

तुम कहाँ हो रवि...? - निलय उपाध्याय

तुम कहाँ हो रवि...?

मौत 
कितनी बडी सच्चाई है
यह बताने के लिए
चले गए 

सच कहता हूं
यकीन नही होता भाई
ऎसे तो न थे तुम

कुछ तो गडबड जरूर है
देह और
आत्मा के रिश्तो
 के बीच

Photo: कुछ लिख कर अब किससे पुछू आचार्य !....बताइए ना आप कहाँ है कैसे बुलाऊँ आपको....आप ही ना कहा करते थे की बस एक कॉल करना आ जाऊंगा आइये ना देखिये मैं रो रहा हूँ कहाँ है आप भईया आइये ....कैसे मैं लिखूं श्रधांजलि कैसे ये मान लूँ की अब आप नहीं आयेंगे, कैसे मान लू की आप अब चीर यात्रा पर चले गये हैं...मैं आपको श्रधांजलि नहीं दूंगा आप मेरे साथ सर्वदा हैं आप मेरे साथ जिन्दा हैं ....मुझमे अब जिन्दा रहिये आचार्य ....आप हमें यूँ रोता छोड़ के नहीं जा सकते कभी भी नहीं आप हमेशा रहेंगे मेरे साथ सबके साथ.........

No comments:

Post a Comment