बनारस की गलियों में गुजरते हुए
घाटों की सीढियों पर घूमते हुए,
मैंने देखा
कि दुनिया भर से लोग यहाँ मरने आते हैं|
बनारस एक पुल है
जो मर्त्य को अमर्त्य तक पहुंचाता है
मृत्युंजय का ये शहर
मृत्यु के इंतज़ार का शहर भी है
एक जमाने में
जब डाक्टरी
समाज को भुलावा दे पाने में इतनी सक्षम नहीं थी
तब विधवाएं
यहाँ कबीर गढ़ती थीं
यहाँ आने वाला हर आदमी एक झुका हुआ सर है
और मदद में उठने वाला हर हाथ उस्तरा
ये वो शहर है
जहाँ तिरस्कृत तुलसीदास होता है
और बहिष्कृत रैदास
मौत कुछ दे न दे निश्चिन्तता तो जरूर देती हो
धतूरे सी सुबहें
भांग के नशे सी शाम
जैसे किसी अंतहीन यात्रा पर निकली हों
इसी बनारस में एक पुल रहता है
विश्व सुंदरी पुल
पुल को देखने के बाद मुझे कभी ऐसा नहीं लगा
कि यह विश्व का यह सबसे सुन्दर पुल है
विश्व के तमाम धर्मों की तरह यह पुल भी एक धोखा है
सुना है
कल फिर एक औरत ने यहाँ से गंगा में छलांग लगा दी
अखबार ने लिखा
वो कूदने से पहले पुल पर थोड़ी देर टहली भी थी
मन पूछता है टहलने के वक्त क्या सोचा होगा उसने
क्या उसने लड़ने के बारे में सोचा
या जीवन संग्राम से भाग जाना अधिक आसान लगा उसे
किसी ने उसे लड़ना क्यों नही सिखाया
लड़ना क्या सचमुच असभ्य हो जाना है
क्या होता अगर
मरने से पहले वो उसे मार कर मरती
क्या सचमुच पति ही दोषी होगा
हो सकता है
सरकार की किसी योजना का शिकार हुयी हो
ये भी हो सकता हो कि किसी प्रेमी ने
उसे अच्छे दिनों का झांसा देकर पांच साल तक किया हो यौन-शोषण
जरूर किसी ने सच बता दिया होगा उसे
जरूर उस कमबख्त का नाम भूख होगा
भूख खाने में बहुत माहिर है
सब कह रहे हैं बच्ची बच गयी उसकी
कोई बात नहीं
पुल का रास्ता दोनों तरफ से खुलता है
फिर माँ सिखा के तो गयी ही है
सहने और सहते हुए टूट जाने की कला
जानते हो लोग मरने बनारस आते हैं
और एक ये पुल है
यहाँ मरने
बनारस आता है
अरमान आनंद ०५/०७/२०१४

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